Tuesday, April 13, 2010

कर्म - शांति

कर्म - शांति


वह कर्म ही क्या जो बलिदान न दे
वह बलिदान ही क्या जो अभिमान न दे
वह अभिमान ही क्या जो इज्ज़त न दे
वह इज्ज़त ही क्या जो सम्मान न दे
वह सम्मान ही क्या जो ख़ुशी न दे
वह ख़ुशी ही क्या जो गम न दे
वह गम ही क्या जो दर्द न दे
वह दर्द ही क्या जो शांति न दे


वह परिश्रम ही क्या जो फल न दे
वह फल ही क्या जो शक्ति न दे
वह शक्ति ही क्या जो उर्जा न दे
वह उर्जा ही क्या जो धैर्य न दे
वह धैर्य ही क्या जो साहस न दे
वह साहस ही क्या जो हिम्मत न दे
वह हिम्मत ही क्या जो इछाशक्ति न दे
वह इछाशक्ति ही क्या जो कर्म न दे


वह कर्म ही क्या जो समृद्धि न दे
वह समृद्धि ही क्या जो शांति न दे…

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