आईं तो थीं ज़िन्दगी में वो माँ बनकर
उन्होंने तो मुझे चलना ही सिखा दिया...
जीवन की अभिलाषा बनकर
जीना ही सिखा दिया।
इच्छा रखती हूँ ईशवर से मिलने की
ईशवर ने खुद ही मेरा सिर सहला दिया।
लोग घरों में रहते हैं
उन्होंने घर को मंदिर ही बना दिया।
दुनिया की इस भाग -दौड़ में
मेरे अस्तित्व से मुझे मिला दिया।
मेरे जीवन में आकर
मेरा जीवन संवार दिया।
आईं तो थीं ज़िन्दगी में वो माँ बनकर
उन्होंने तो मुझे चलना ही सिखा दिया...
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ReplyDeleteawesome.!
ReplyDeletethanks a lot.. :)
ReplyDeletewhat happened to freedom of speech???
ReplyDeleteI have been anirBANNED!
aisa karna pada. meri kavita ka aisa bura translation, with no meaning.. tumhe 'anirbannned' hona hi tha!
ReplyDeleteBeta thank god mere naam mein JEE bhi hai..
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